SAMEER GK

Knowledge, technical gadget, motivation,

Friday, February 15, 2019

Gundadhur dhurwa| गुंडाधुर


 गुंडाधुर

  स्थान                       :नेता नार बस्तर
  विद्रोह                      :महान भूम काल विद्रोह
 विद्रोह चिन्ह               :“मेरी डरा” -मिट्टी ,लाल मिर्च ,तीर कमान  ,आम की डाली

              “ बस्तर की माटी का वीर सपूत जिसने अपनी वीरता और पराक्रम से अंग्रेजों और ब्रिटिश अधिकारियों के साथ साथ तत्कालिक  शासकों को  दहशत और भय  से परिचित कराया उस भूमकाल के जननायक से बस्तर आज भी  गौरवान्वित होती है”
गुंडाधुर-धुरवा|Gundadhur
गुंडाधुर


  गुंडाधुर का जीवन परिचय

बस्तर की धुरवा जनजाति   की बहुलता उसके परंपरा संस्कृति और लोकप्रियता बस्तर की पहचान है यहां आदिवासियों की विभिन्न जनजाति निवास करती है जोकि अपनी अलग पहचान परंपराओं पहनाओ बोली और जीवन शैली के लिए जानी जाती है इन्हीं जनजातियों में  धुर्वा जनजाति  मैं नेतानार गांव युवा जमीदार  गुंडाधुर धुर्वा का निवास स्थान रहा है जो कि अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता व  वीरता के लिए इतिहास के पन्नों में जाने  गए!

 मुरिया विद्रोह के पश्चात एवं अन्य छोटे-छोटे विद्रोह के बाद 1910 में शासक रूद्र प्रताप सहदेव जो कि वह भैरमदेव के पुत्र थे के शासनकाल में मुरिया राज के लिए एवं तत्कालिक शासकों के शोषण के विरुद्ध आदिवासियों के विभिन्न जनजातियों के एकरूपता एवं संगठन का नाम था   "भूमकाल " इसे ही इतिहास में "भूमकाल विद्रोह" के नाम से जाना जाता है!


  भूमकाल का जननायक

 लाल कालीन सिंह जो कि राजदरबार के दीवान भी रहे  थे के द्वारा मुरिया राज एवं सत्ता व्यवस्था के लिए जनसभा में युवा जमीदार गुंडाधुर   धुुुुरवा को सर्वसम्मति से भूमकाल का सर्व दल नेता घोषित किया गया साथ ही सभी परगना के प्रमुख नेतृत्व कर्ता की घोषणा की गई जिसमें  डीबराधुर घुरवा,  सोनू मांझी, मुंडी कलार ,धानु धाकड़ आदि जोकि अलग-अलग जनजाति के थे यह बहुत ही विश्वसनीय थे इन्हें परगना का नेता चुना गया इस तरह   गुंडाधुर धुरवाा  को इंद्रावती  नदी के तट पर  ताडोकी के एक जनसभा में  भूमकाल  की कमान सौंपी गई!

 25 जनवरी 1910 को एक गुप्त सभा में तय किया गया कि विद्रोह करना है!


   “ मावा नाटे मावा राज”

            बस्तर  आदिवासियों का है और हम इसे लेकर रहेंगे
आदिवासी विद्रोह
आदिवासी विद्रोह 


 2 फरवरी 1910 को मुरिया राज की संकल्पना के साथ भूमकाल विद्रोह का प्रारंभ हुआ पूूसपाल के बड़े बाजार में बाहरी व्यापारियों को लूटा गया एवं मार दिया गया 5 फरवरी 1910 को पुसपाल  बाजार को लूटा गया और आदिवासियों में बांट दिया गया
 6 फरवरी 1910 को तात्कालिक राजा रूद्र प्रताप सिंह देव ने तत्कालिक स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सेंट्रल सर्विस के चीफ को तार भेजकर मदद की गुहार लगाई
 13 फरवरी तक अनेक छोटी-छोटी  विद्रोह के बाद दक्षिण पश्चिम बस्तर  गुंडाधुर एवं उनके अन्य समर्थकों के कब्जे  मैं आ गया!

 अंग्रेजों ने  सैन्य टुकड़ी के साथ कैप्टन गियर को राजा की मदद के लिए भेजा गया राजा ,पंडा बैजनाथ और कैप्टन गियर ने आदिवासियों विद्रोह को शांत करने का निर्णय लिया आदिवासियों की संख्या एवं मनोबल देख कर अंग्रेजों के पसीने छूट गया कप्तान गेयर आदिवासियों को मिट्टी की कसम खाकर अत्याचार खत्म करने का घोषणा की तथा आपसी सर्वसम्मति से रहने के लिए गुजारिश की और आदिवासियों को भी कसम दिलवाई कि वह भविष्य में कोई विद्रोह नहीं करेंगे इस तरह विद्रोह को  शांत कराया गया!
 किंतु अंग्रेजों की छलावा करने की पुरानी आदत रही है कैप्टन गियर के द्वारा और संयोग मंगाया गया और बाहर से सैनिकों के टुकड़ी आने के पश्चात विद्रोहियों पर हमने बोल दिया गया अंग्रेजों की इस कायराना हरकत उसे सभी विद्रोही आश्चर्यचकित हो गए अंग्रेजो के द्वारा पहले विद्रोहियों को महल से खदेड़ा गया  तथा इस विद्रोह में 15 मुख्य विद्रोही गिरफ्तार हो गया किंतु गुंडाधुर अंग्रेजों की पकड़ से बाहर ही रह गए!


 इस छलावा से आदिवासी और भड़क गए गुंडाधुर ने एक बार फिर अपनी सेना संगठित की तीर-कमान ,कुल्हाड़ी, टंगिया से सुसज्जित किया गया और जगदलपुर अभियान पर निकले विद्रोह बढ़ गया महीनों तक छोटी-छोटी लड़ाइयां लड़ी गई!


  गुंडाधुर के नाम से अंग्रेज  कांप उठते थे


 गुंडाधुर के नाम से अंग्रेज ,राजा ,दीवान और सैनिक  कांप उठते थे अंग्रेजों  मैं विद्रोहियों का दहशत फैलता जा रहा था पहली बार महीनों तक किसी आदिवासी ने अंग्रेजों की नाक में दम कर के रखा था और अपना डंका बजाया था छोटी-छोटी लड़ाईया लड़ने के लिए गुंडाधुर खुद उपस्थित रहते थे इस लड़ाई के बाद गुंडाधुर ने कप्तान घर पर हमला कर दिया और इस तरह अंग्रेजों की कायराना हरकत के जवाब दिया गया किंतु कैप्टन केयर भागने में कामयाब हो गए!

गुंडाधुर धुरवा| गुंडाधुर गोंड
गुंडाधुर धुरवा
 24 मार्च 1910 को गुंडाधुर और उसके अन्य साथी अलनार  मैं अपनी सभी लड़ाईयों का उत्साह मनाने के लिए एकत्र हुए मुरिया राज की स्थापना की खुशी के साथ साथ नगाड़े की थाप जंगल में गूंजने लगी सभी जश्न के खाने एवं महुआ मदीने के नशे में डूब गया चारों तरफ खुशी का माहौल था !
इसी खुशी के माहौल में एक परगना प्रमुख सोनू मांझी जो कि गुंडाधुर के विश्वासनिय हुआ करते थे विद्रोहियों की एकत्र होने की खबर कप्तान  गेयर को दे दी जोकि भाग कर छुपे हुए थे गेयर अपने सैनिकों की टुकड़ी के साथ अनार की तरफ बढ़ने लगे सोनू मांझी ने मार्गदर्शन किया और विद्रोहियों के स्थान पर ले गए अंग्रेजों ने इलाके को चारों तरफ से घेर लिया गुंडाधुर उनकी आहट से सचेत हो गए उन्होंने बाकी लोगों को जगाने की कोशिश की किंतु नशे में डूबे बाकी साथी हथियार उठाने के  बात तो दूर खड़े होने की स्थिति में भी नहीं थै!
      गुंडाधुर से अपना तलवार निकाला और जंगलों की ओर भाग निकले अंग्रेजों ने विद्रोहीयों पर गोली चलाना शुरु कर दिया किंतु इस बार भी गुंडाधुर  को पकड़ने में  असफल रहे गुंडाधुर जानते थे यदि वे पकड़े गए तो भूमकाल विद्रोह हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा!


       इस मुठभेड़ में डीबराधुर  गिरफ्तार कर लिए गए इन्हें नगर के बीचोंबीच इमली के पेड़ पर फांसी में लटका दिया गया!
 अंग्रेजों ने जंगल और पहाड़ों की छान मारा पूरी कोशिश की  गुंडाधुर को पकड़ने के लिए लेकिन वे नाकामयाब रहे!
 बाद में आदिवासियों और अंग्रेजो के बीच एक समझौता हुआ जिसमें आदिवासियों पर अत्याचार नहीं करने, करो में सुविधा देने एवं अनावश्यक हस्तक्षेप ना करने  की बात रखी गई!
शहीद गुंडाधुर घुरवा|  गुंडाधुर
 शहीद गुंडाधुर धुरवा

 इस तरह बस्तर का  महान भूमकाल विद्रोह को शांत कराया गया किंतु  गुंडाधुर की वीरता और पराक्रम की गाथा आज भी बस्तर के जंगलों में गूंजती रहती है इतिहास के पन्नों में हमेशा हमेशा के लिए अजय व अमर हो गई!


 सम्मान


गुंडाधुर सम्मान

 छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गुंडाधुर स्मृति में साहसिक कार्य एवं खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए!
 स्थापना:                           2001
 पुरस्कार राशि:                 ₹200000

महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र



“ भूमकाल दिवस”

                 दुर्गा समाज के गंगाराम कश्यप की कोशिश से हर साल फरवरी के 10 तारीख को  “भूमकाल दिवस” के रूप में मनाया जाता है!


नोट : इस पोस्ट में आपको बताया गया है की गुंडाधुर किस तरह तत्कालिक शासन व्यवस्था एवं अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई की और मुरिया राज के लिए संघर्ष किया!

----------------------------------------------------------
हेलो दोस्तों !
     यह पोस्ट यदि आप को अच्छा लगा हो तो प्लीज कमेंट कीजिये ताकि में इस प्रकार की और भी पोस्ट और जानकारी आप के लिए ला सकूँ !
                                            धन्यवाद  

4 comments: